शिक्षा का अधिकार और शिक्षा गारंटी कानून( Right to education) क्या हैं?
शिक्षा का अधिकार और शिक्षा गारंटी कानून( Right to education) क्या हैं?
शिक्षा आज के समय में सभी के लिए आवश्यक है , चाहे वह कोई भी हो । बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक को सभी को शिक्षित होना चाहिए , क्युकी आज के दौर में जहा सभी मॉडर्न , इलेक्ट्रॉनिक दुनिया की ओर बढ़ रहे है वहा आप शिक्षित नहीं होंगे तो आप बाकी सब लोगो से पीछे रह जायेंगे ।आज के इस computer दौर में आपको पढ़ने लिखने आना चाहिए । इसी जरूरत को पूरा करने के लिए सरकार ने सभी बच्चो के लिए शिक्षा का अधिकार या शिक्षा गारंटी कानून लाया जिससे भारत का हर बच्चा पढ़ सके और आगे बढ़ सके ।
शिक्षा का अधिकार और शिक्षा गारंटी कानून
शिक्षा का अधिकार का अर्थ है शिक्षा को अपने मौलिक अधिकार के तौर पर प्राप्त करना ।यहां अधिकार प्राथमिक से उच्च शिक्षा पर लागू हो सकता है लेकिन प्राथमिकता के आधार पर इसे प्राथमिक शिक्षा पर लागू किया जाता है ।संविधान में RTE (Right to education)आर.टी.ई के लिए 45 अनुच्छेद नीति निर्देशक तत्वों पर लिखा गया है, नीति निर्देशक तत्व के अंतर्गत यह राज्य का दायित्व तो था लेकिन जनता का अधिकार नहीं था।
86 वा संविधान संशोधन 2002 से इसे नैतिक से इसे संविधानिक अधिकार में बदल दिया।
मूल अधिकार को लागू करने के लिए शिक्षा का अधिकार कानून 2009 लाया गया जिसे एक अप्रैल 2010 से लागू किया गया।
प्रावधान
शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत निम्नलिखित अधिकार
1.निकटतम विद्यालय में प्रवेश का अधिकार।
2. विद्यालय के प्रवेश के लिए प्रवेश शुल्क पर रोक ।
3. स्कूलों में प्रवेश परीक्षा पर रोक ।
4. 5 वर्ष के अंदर प्रशिक्षित अध्यापकों की नियुक्ति।
5. उम्र के अनुसार बच्चों को स्कूल में प्रवेश।
6. गरीब परिवारों के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में 25% की छूट।
7. शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना पर रोक। 8. प्रभाव छात्र शिक्षक अनुपात ।
9. इस अधिकार को लागू करने के लिए स्टूडेंट मैनेजमेंट कमिटी (Student management comitee)जिसमें अभिभावकों को शामिल किया गया।
लाभ सभी के लिए शिक्षा ।
1. शिक्षा के क्षेत्र में अंतराल का भराव।
2.गरीबी अब शिक्षा में बाधा नहीं होगी ।
3. बाल श्रम पर नियंत्रण रहेगा ।
4.सरकारी निजी स्कूलों के बीच अंतर घटेगी ।
5.शिक्षा का दायित्व सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर निभाएंगे।
शिक्षा का अधिकार कानून
अनुच्छेद 21a को लागू करने के लिए बनाए गए कानून है।( शिक्षा के अधिकार को लागू करने के लिए आर्टिकल 35 के अंतर्गत बनाया गया है ) यह कानून 1 अप्रैल 2010 से संपूर्ण भारत में लागू किया गया है जिसके अंतर्गत निशुल्क शिक्षा अनिवार्य शिक्षा 6 से 14 वर्ष बच्चों को कानूनी रूप से प्रदान करने की बाध्यता है।
प्रावधान
- पहली से पांचवी तक के बच्चों को 1 किलोमीटर के दायरे में शिक्षा, छठी से आठवीं तक 3 किलोमीटर दायरे में प्राथमिक शिक्षा दी जाएगी ।
- पंचायती राज द्वारा ऐसे बच्चों की पहचान की जाएगी।
- संसाधनों को केंद्र व राज्य सरकार द्वारा स्कूलों में आधारभूत सुविधाओं में इनको (टीचर) को रखा जाएगा सरकार का दायित्व होगा ।
- आयु के अनुरूप प्रवेश दिया जाएगा लेकिन आयु प्रमाण पत्र नहीं होने पर प्रवेश से वंचित नहीं किया जाएगा ।
- यदि किसी बच्चे ने स्कूल छोड़ दी हो किसी कारण से तो उसे आयु अनुरुप शिक्षा से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। शिक्षकों को जनगणना चुनाव जैसे पढ़ाई से अन्य कार्यों में नहीं लगाया जाएगा।
- नैतिक मूल्यों का सृजन व मानसिक योग्यताओं का विकास ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा ।
- शिक्षा को यथासंभव मातृभाषा में दिए जाने का प्रयास किया जाएगा।
- शिक्षा पदाधिकारी द्वारा पाठ्यक्रम का समय समय पर मूल्यांकन किया जाएगा ताकि वह अध्ययन करा सके।