छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय राजवंश CGPSC SHORT NOTES
छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय राजवंश से सम्बंधित शार्ट नोट तैयार किया गया है जो आपको जल्दी से कम समय में पढ़ने में मदद करेंगी |
1. नल वंश (4 वी शताब्दी ईसवी)
- राजधानी- पुष्करि (भोपालपट्टनम), कोटा पुर (उड़ीसा)
संस्थापक- शिशुक,
अन्य शासक- व्याघ्रराज् (समुद्रगुप्त द्वारा पराजित 350 ईसवीं)
- वृषभराज- वृषध्वज 400 से 440 ई
- वाराहराज़- (वास्तविक संस्थापक) एंडेंगा ग्राम से 29 सिक्के प्राप्त |
- भवदत्त वर्मन- ऋद्धिपुर (अमरावती मोरशी अंचल ताम्रपत्र)
- अर्थपति – केसरी बेड़ा ताम्रपत्र, पृथ्वी सेन द्वितीय द्वारा “नलवाड़ी कब्जा”
- स्कंदवर्मन्- पोडागढ़ शिलालेख “विजयी था, विजयी है, विजयी रहेगा” वर्णित| पुष्करी को पुनः बताया|
- स्तंभराज , नल राज़- कुलिया से प्राप्त लेख के अनुसार|
- पृथ्वीराज- 605 ई. से 630 ई.
- वीरूपास
- विलासतुंग- 700 ई से 740ई. , राजीम शिलालेख छत्तीसगढ़ के प्राचीन इतिहास का स्रोत| राजीम का राजीव लोचन मंदिर का निर्माण|
- पृथ्वी व्याघ्र- उदययन्दिरम लेख से जानकारी|
- भीमसेन देव
- नरेंद्र धवल
अन्य- वायुपुराण और ब्रह्मांड पुराण ये पौराणिक शासक नल के वंशजों का कोसल प्रदेश पर प्रशासन होना तथा नलों को नैषध प्रदेश का बताया गया है|
2 राजर्षितुल्य वंश 5 वी शताब्दी
इसे छत्तीसगढ़ का प्रथम क्षेत्रीय राजवंश कहा जाता है
- राजधानी आरंग राजमुद्रा सिंह
- शासक शूरा (शूरा राजवंश )
- दायित १
- विभीषड़
- भीमसेन १
- दायित २
- भीमसेन २ आरंग ताम्रपत्र (सुवर्ण नदी (सोन नदी) के किनारे से प्राप्त )
- कलिंग प्रसस्ति एवं उदयगिरि के पाली लेख में “खारबेल ” को “राजर्षि वंश तुल्य कुल बिनसृत ” लिखा गया है |
3 ) पर्वतद्वारक वंश
- क्षेत्र देवभोग ,तेलनदी घाटी (गरियाबंद )
- शासक सोमन्नराज
- राजा तुष्टिकर टेरसिंघा ताम्रपत्र
- इस वंश के लोग स्तंभेश्वरी देवी के उपासक थे
- पर्वतद्वारक स्थान की समानता कालाहांडी जिले के पर्थला नमक स्थान से की जाती है
4 ) शरभपुरीय वंश (5 वी शताब्दी से ) /अमरार्य वंश
- राजधानी शरभपूरी (सारंगगढ़ / संबलपुर )
- शासक परम भागवत
- राजमुद्रा गजलक्ष्मी
- संस्थापक शरभराज सिक्को में संस्कृत का प्रयोग
पुत्र
- नरेंद्र (भरतबल ) पीपरडुला और कुरुद ताम्रपत्र
- खडग धारा जितभवै तलवार के धार से सारे विश्व को जीत लेने वाला
- मुद्रा गजा भिषिक्त लक्ष्मी
- उपाधि परमभागवत
प्रसनमात्र
- सोने का सिक्का 116 से अधिक (गरुण ,शंख ,चक्र अंकित ) – मल्हार निडिला नदी / लीलागर नदी तट
- अंगोरा पत्र
१) पुत्र जयराज ताम्रपत्र मल्हार
- राज्यग्राम को विष्णुस्वामी नामक ब्राम्हण को दान
२) दुर्गराज (मन्नमात्र )
- दुर्ग शहर की स्थापना इन्ही के नाम पर है |
महासुदेव राज
- सर्वाधिक ताम्रपत्र प्राप्त 8
- सिरपुर का संस्थापक
- महासमुंद और कौआ ताल अभिलेख में “इन्द्रबल राज” (सर्वाधिकरणाधिकृत ) का वर्णन
प्रवरराज
- सिरपुर (श्रीपुर ) को राजधानी
अन्य महत्वपूर्ण बातें
- देवराज का भाई प्रवरराज 2 इस वंस शासक जिसके दो ताम्रपत्र ठाकुरदिया और मल्हार से प्राप्त |
- तालागांव से प्राप्त (रूद्रशिव ) की प्रतिमा इसी वंश के शासकों द्वारा निर्मित
- रायपुर (आरंग ) से प्राप्त ताम्रपत्र में “पूर्व राष्ट्र ” का वर्णन
- प्रशासन सबसे छोटी इकाई ग्राम
- भोग या भुक्ति – वर्तमान तहसील का पर्यायवाची
- अहार – वर्तमान जिला पर्यायवाची
5 ) पाण्डुवंश / सोमवंश (6 वी से 8 वी शताब्दी )
- राजधानी सिरपुर
- शासक उदयन (आदिपुरुष ) (कालिन्जर शिलालेख )
- स्थापना उदयन का पुत्र इन्द्रबल (भरतबल )
- इन्द्रबल का मलगा बिलासपुर ताम्रपत्र
- इन्द्रपुर (खरौद ) नगर की स्थापना
- विवाह कोसल की राजकुमारी लोकप्रकाशा से
इन्द्रबल का पुत्र
1 ) नंदराज 1
पुत्र :- महाशिवतिवरदेव , चन्द्रगुप्त
(चन्द्रगुप्त का पुत्र हर्षगुप्त ) (हर्षगुप्त का पुत्र महाशिवगुप्त बालार्जुन )
2 ) ईशानदेव
खरौद का लक्ष्मेश्वर मंदिर
3 )सुरबल
4 )भवदेव (रण केसरी ) भांदक शिलालेख
महाशिवतिवरदेव
- सकल कोशलाधिपति की उपाधि
- वैष्णव धर्म का अनुयायी
- मुद्रा गरुण चिन्ह
नंनराज दामाद को पंचमहाशब्द की उपाधि (बोड़ा ताम्रपत्र )
- विष्णु कुण्डी माधववर्मन १ से युद्ध करते मारा गया 565 इ
- नंनराज 2 कोसल मण्डलाधिपति कहा गया (अड़भार ताम्रपत्र )
- हर्षगुप्त मौखरी राजा सूर्यवर्मन की पुत्री वसाटा से विवाह
- वसाटा सिरपुर का लक्ष्मण मंदिर (लाल ईंटो से निर्मित ) विष्णु मंदिर का नींव , निर्माण महाशिवगुप्त बालार्जुन|
महाशिवगुप्त बालार्जुन (595 से 655 इ )
- शैव मतवालम्बी , धनुर्विद्या में पारंगत इसीलिए बालार्जुन नाम पड़ा
- छत्तीसगढ़ इतिहास का स्वर्णिम युग
- चीनी यात्री ह्वेनसांग के यात्रा वृतांत “सी. यु. की. ” में इसका वर्णन (639 ई ) और ह्वेनसांग ने छत्तीसगढ़ को ” किया -स- लो ” नाम से उल्लेखित किया
- समकालीन शासक कन्नौजे के हर्ष एवं वातापी नरेश पुलकेशिन 2
- सर्वाधिक ताम्रपत्र (27 ) सिरपुर से प्राप्त
अन्य
- पाण्डुवंश के ताम्रपत्रों में ” पेटिका शीर्षलिपि का प्रयोग
- शिलालेखों में किलासर लिपि का प्रयोग |
- परम महेश्वर उपाधि महाशिवगुप्त बालार्जुन
बाणवंश (9 वी शताब्दी )
- राजधानी पाली (कोरबा )
- शासक महामंडलेश्वर मललदेव
- विक्रमदित्य (870 से 895 ई )पाली के शिव मंदिर का निर्माण ( मंदिर के गर्भगृह के द्वार में उत्कीर्ण लेख से ज्ञात होता है )